“पति पत्नी ने 60 लाख कर्ज लेकर बैम्बू हाउस बिजनेस शुरू किया और आज करोड़ों का टर्नओवर हो गया”

“पति पत्नी ने 60 लाख कर्ज लेकर बैम्बू हाउस बिजनेस शुरू किया और आज करोड़ों का टर्नओवर हो गया”

जिस काम में मन लगे, उसी काम को अच्छे से करना चाहिए। लगन और पूरी मेहनत से किये गए काम पर सफलता जरूर मिलती है। अगर किसी व्यवसाय में लिए पर्याप्त पूंजी ना हो, तो क़र्ज़ या उधर लेकर भी अपने व्यवसाय में कामयाबी पाई जा सकती है। एक पति-पत्नी की जोड़ी की भी कुछ ऐसी ही कहानी है।

हैदराबाद में रहने वाले प्रशांत और अरुणा पति-पत्नी हैं। इनकी शादी साल 2006 में हुई थी। शादी के बाद वे दोनों अपने घर को पूरी तरह से डेकोरेट करना चाहते थे। शादी के बाद हर जोड़े का सपना होता है की उनका घर भी अच्छे से सज जाए और घर पर फर्नीचर भी पूरे हो जाएँ।

ऐसे में वे अपने घर के लिए फर्नीचर का सामान लेने बाज़ार गए। अरुणा अपने घर के लिए बांस के फर्नीचर लेना चाह रही थी। यह घर को एक देसी लुक देता है और आरामदायक व मजबूत भी होता है। वह सब देखकर उन्होंने खुद का बिजनेस करने का प्लान किया।

उनके इस बिज़नेस आईडिया को पूरा करने के लिए, उन्होंने जो जुगत लगाई और किस्ते जतन किये, वह सब इस शादीशुदा जोड़े ने एक हिंदी अख़बार को बताया है। वही सब आज आप इस आर्टिकल में जानेंगे।

भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक़ अरुणा ने बताया की उस समय उनकी शादी को कुछ ही दिन हुए थे। फर्नीचर लेने के बाद जब वे अपने पति के साथ घर वापस आई, तो उनके सास-ससुर उनका बिज़नेस आईडिया सुनकर नाराज हुए। प्रशांत के माता पिता को यह आइडिया बेकार लगा। परन्तु इस नए जोड़े ने बैंबू फर्नीचर बिजनेस में हाँथ आज़माने का अपना फैसला कर लिया था।

अब हर शादीशुदा जोड़ा कहीं ना कहीं घूमने तो जाता ही है। ऐसे में वे दोनों अपने बैंबू बिज़नेस को मन में लेकर कई महीने के फॉरेस्ट स्टडी टूर पर देश में कई स्थानों पर गए। अपने इस टूर की मदत से उन्होंने पाया की भारत में बांस से बने प्रोडक्ट का मार्केट करीब 26,000 करोड़ है। ऐसे में दोनों ने इसी बिज़नेस में अपना करियर बनाने का फैसला कर लिया।

आपको बता दें की बांस के प्रोडक्ट का बिजनेस करने में सरकार भी कुछ हद तक मदत और सपोर्ट करती हैं। उन्हें पता चला की आईआईटी दिल्ली में बांस पर बेस्ड हाउसिंग टेक्नोलॉजी पर स्टडी और काम चल रहा है। वह से भी कुछ जानकारी इकट्ठा करके साल 2008 में प्रशांत और अरुणा ने बैम्बू हाउस के व्यवसाय को शुरू किया।

एक काम में एक समस्या यह थी की बांस से बने प्रोडक्ट को लोगो तक पहुँचाना बहुत कथिक लग रहा था। उन्होंने आंध्रप्रदेश के गांव वालों और आदिवासी समुदाय को बांस से चीजें तैयार करने की ट्रेनिंग दी और ऐसे हैदराबाद (Hyderabad) में ग्रीन लाइफ का शुभारम्भ हुआ। इस बिज़नेस के बारे में किसी बुक या इंटरनेट पर सही और पूरी जानकारी मुहैया नहीं थी, जिसे जानकर बिजनेस किया जा सके।

भारत के नार्थ इस्ट के राज्यों में बांस का बहुत इस्तेमाल होता है और वहां पर बांस के घर भी बनाये जाते हैं। ऐसे में पूर्वोत्तर के शिल्पकारों से उन्होंने सभी जानकारी जुटाई और अपने काम को बढ़ाया। अपने बिजनेस के विस्तार के लिए दोनों ने 60 लाख का कर्ज लिया। एक दिक्कत और आई की जब वे बांस लेने के लिए कहीं जाते थे, तो वहां के स्थानीय लोगों के विरोध का सामना करना पढता था।

कुछ जगह काम बनने के बाद उन्होंने बांस से बनने वाली अन्य चीजों जैसे दूध की थैली, टायर और प्लास्टिक की बोटल्स से इको फ्रेंडली प्रोडक्ट बनाना शुरू किया। यह सभी प्रोडक्ट चल पड़े। बैंबू हाउस को कंफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्रीज का सपोर्ट मिला और काम आगे बढ़ गया। उन्होंने गुगल कंपनी के लिए एक बैंबू हट बनाई, जिसे बहुत पसंद किया गया।

फिर धीरे धीरे इन दोनों का बैम्बू हाउस बिज़नेस सफलता की सीधी चढ़ने लगा और अब वे करोड़ो का व्यवसाय कर रहे हैं। बांस के घर और फर्नीचर पर्यावरण ने अनुकूल भी होते हैं और इनके पर्यावरण को कोई निकसान भी नहीं होता। इस क्षेत्र में रोजगार के भी कई अवसर है।

[ डि‍सक्‍लेमर: यह न्‍यूज वेबसाइट से म‍िली जानकार‍ियों के आधार पर बनाई गई है. Air News अपनी तरफ से इसकी पुष्‍ट‍ि नहीं करता है. ]

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