इंसानों के मांस का कैसा होता है स्वाद? नरभक्षियों का जवाब सुन दंग रह जाएंगे

इंसानों के मांस का कैसा होता है स्वाद? नरभक्षियों का जवाब सुन दंग रह जाएंगे

दुनिया में नॉनवेज के शौकीनों की कमी नहीं है. उनके लिए चिकन, मटन, पोर्क, बीफ जैसे मीट के कई विकल्प मौजूद हैं. लेकिन एक मीट ऐसा भी है, जिसे आजमाने की हिम्मत शायद ही कोई करे और वह है इंसानी मांस. लेकिन दुनिया में ऐसे कई सनकी हुए हैं,

जिन्होंने यह भी कर दिया. हाल ही में स्पेन की एक इन्फ्लुएंसर पाउला गोनू ने यह कहकर दुनिया को चौंकाया था कि उन्होंने अपने घुटने का एक हिस्सा खाया है. आइए अब नरभक्षियों के हवाले से जानते हैं कि आखिर इंसानी मांस का स्वाद कैसा होता है.

डेली मेल की एक रिपोर्ट के अनुसार, जब वैज्ञानिकों ने नरभक्षियों से स्वाद के बारे में जानने की कोशिश की, तो जानिए क्या जवाब मिला. गुएरो एक ऐसा अफ्रीकी समुदाय है, जो इंसानों का कच्चा मांस खाता है. 1920 के दशक में विलियम ब्यूहलर सीब्रुक नाम के एक अमरीकी ने इस समुदाय के लोगों से मुलाकात की थी. तब विलियम ने खुद भी इंसानी मीट खाया था.

विलियम ने अपनी किताब ‘Jungle Ways’ में इसका अनुभव लिखा है. उनके अनुसार, उन्हें मांस बीफ की तरह लगा. लेकिन इंसानी मीट में लालपन कम होता है. इसके अलावा फैट के साथ हल्का पीला होता है. उन्होंने बताया कि जब मीट को पकाया गया, तब उसका रंग हलका काला होने के साथ ही बीफ जैसी खुशबू आने लगी. स्वाद बिल्कुल एक बछड़े के नरम मीट जैसा था.

2001 में जर्मनी के आर्मिन मेवेस ने एक टेक्नीशियन की हत्या कर उसका मांस खाया था. अपने कबूलनामे में मेविस का कहना था कि उसे स्वाद पोर्क जैसा लगा. लेकिन यह थोड़ा कड़वा था. वहीं, जापानी नरभक्षी Issei Sagawa का कहना था कि इसका स्वाद मछली जैसा होता है. सागवा ने 1981 में Renée Hartevelt नाम की एक डच महिला की हत्या कर उसका मीट पकाकर खाया था.

1972 के एंडीज विमान हादसे में जीवित बचे लोग जिंदा रहने के लिए अपने साथी यात्रियों को खाने के लिए मजबूर हो गए थे. सरवाइवर नंदो पराडो का कहना था, ‘जब मैंने पहला टुकड़ा खाया, तो उसमें कोई स्वाद नहीं था. मैंने केवल खुद को जिंदा रखने के लिए चखा था.’

वैज्ञानिक विलियम की बताई बातों को सबसे उपयोगी मानते हैं, क्योंकि नरभक्षण पर अधिकांश टिप्पणियां अपराधियों की ओर से हैं, जो विरोधाभासी भी हो सकते हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक, इंसानी मीट में म्योग्लोबिन प्रोटीन प्रचूर मात्रा में होती है. जिसकी वजह से मीट गोमांस की तरह लाल नहीं होता. 2006 में NEC System Technologies And Mie University के शोधकर्ताओं ने इलेक्ट्रोमैकेनिकल नाम के एक ऐसे रोबोट का इजाद किया, जो किसी भी वाइन का टेस्ट बता सकता था.

लेकिन जब पत्रकारों ने उसके मुंह में हाथ डाला, तो उसने बताया कि उसका स्वाद उसे बेकन की तरह लगा. लैब में जांच से भी यह बात सामने आई कि इंसानी मांस में गोमांस जैसे तत्व हैं.

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