पिता ने बेची चाय, बेटा बिना कोचिंग पहली बार में बना IAS अधिकारी

दृढ़ निश्चय और सही रणनीति के साथ प्रयास किया जाए तो कोई भी सफलता दूर नहीं हो सकती. इस बात को सही साबित करती है 2017 में आईएएस अधिकारी बने देशल दान की सक्सेस स्टोरी. राजस्थान के जैसलमेर जिले के सुमालियाई गांव में जन्मे देशल के पिता चाय बेचते थे. इसी से देशल की पढ़ाई और घर का खर्च चलता था.
आर्थिक स्थितियों के कारण भाई-बहनों ने पढ़ने में रुचि नहीं दिखाई
सात भाई-बहनों में सिर्फ देशल दान और उनके बड़े भाई ने ही शिक्षा का रुख किया. परिवार की आर्थिक स्थितियों के कारण अन्य भाई-बहनों ने पढ़ने में रुचि नहीं दिखाई. देशल अपने भाई बहनों में दूसरे नंबर पर हैं. उनके बड़े भाई भारतीय नौसेना में कार्यरत थे. लेकिन आईएनएस सिंधुरक्षक पनडुब्बी की दुघर्टना में वह शहीद हो गए. यह देशल के लिए सबसे बड़ा नुकसान था
सपना हादसे से टूटा
हमेशा से एयरफोर्स में या यूपीएससी क्रैक करके आईएएस अधिकारी की चाहत रखने वाले देशल का सपना इस हादसे से टूट सा गया. उस वक्त वह दसवीं क्लास में पढ़ते थे. हालांकि इसके बाद वह पढ़ाई को लेकर बेहद गंभीर हो गए और आगे चलकर 12वीं के बाद जेईई एग्जाम क्रैक करके आईआईटी जबलपुर से इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन किया.
तैयारी के लिए जबलपुर से दिल्ली का रुख
आईआईटी से इंजीनियरिंग करने के बाद भी देशल ने आईएएस अधिकारी बनने का सपना नहीं छोड़ा. उन्होंने तैयारी के लिए जबलपुर से दिल्ली का रुख किया लेकिन उन्हें यह बात मालूम थी कि उनके पास इसके लिए न तो बहुत सारे पैसे हैं और न ही लंबा समय. लेकिन उनके पास जज्बा था. उन्होंने दिन रात मेहनत की. नतीजा ये रहा कि बिना कोचिंग के पहले ही प्रयास में उन्होंने न सिर्फ यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा क्रैक की बल्कि 82वीं रैंक भी हासिल की. इस सफलता के समय देशल की उम्र सिर्फ 24 साल थी.
पिता नहीं जानते थे क्या होता है आईएएस
देशल के माता-पिता और पांच भाई बहन नहीं पढ़े हैं. जब देशल यूपीएसससी की सिविल सेवा परीक्षा क्रैक करके आईएएस अधिकारी बने तब भी उनके पिता को नहीं मालूम था कि आईएएस क्या होता है. उन्हें सिर्फ इतना ही समझ आया कि लोग इतनी इज्जत दे रहे हैं इसका मतलब है कि कुछ बड़ी सफलता मिली है.