क्यों चर्चा में है चीन का 24 अक्षरों वाला नारा, जानिए जिनपिंग ने क्यों कहा- लड़ने की हिम्मत करो

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) ने 24 अक्षरों का एक ऐसा नया नारा दिया है, जिसकी चर्चा दुनिया भर में हो रही है. जानकार इसे चीन में नए बदलाव और विकास का प्रतीक बता रहे हैं, विशेषज्ञों का कहना है चीन का यह नारा वैसे तो काफी पुराना है, लेकिन यह आज के संदर्भ में अमेरिका के खिलाफ चीन की खुली हुंकार है. शी जिपनिंग ने उस नारे को नये शब्द और अंदाज के साथ दोहराया है.
शी जिनपिंग ने पिछले हफ्ते ही ये नारा दिया था, जोकि महज 24 अक्षरों का है. लेकिन इसके पीछे एक लंबी कहानी है. नारे का हर अक्षर शक्तिशाली और मारक माना जाता है. कहते हैं यह नारा चीनी विदेश नीति के लिए नया मार्गदर्शक सिद्धांत है. माना जाता है चीन को आगे बढ़ाने में इस नारे का अपना एतिहासिक महत्व रहा है. जब-जब चीन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दवाब में आता है, इस नारे का सहारा लेता है.
हिंदी में जानिए शी जिनपिंग का नारा
चीन में यह नारा जन-जन की जुबान पर है. यह राष्ट्रीयता को बहुत मुखर बनाता है और ‘नए युग’ में चीन की नई विदेश नीति का मंत्र बनने का वादा करता है. द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक चीनी भाषा के जानकार और जेएनयू में प्रोफेसर हेमंत अदलखा ने शी जिनपिंग के नारे का हिंदी में अनुवाद किया है.
उनके मुताबिक शी जिनपिंग ने पुराने नारे को नया रंग दे दिया है, उसका हिंदी अनुवाद है – शांत रहो, दृढ़ रहो, प्रगति और स्थिरता की तलाश करो, सक्रिय रहो, उपलब्धियों के लिए आगे बढ़ो, कम्युनिस्ट पार्टी के तहत एकजुट हों और लड़ने की हिम्मत करो.
24 अक्षरों वाले नारे का इतिहास जानिए
वैसे तो ये नारा नए युग में शी जिनपिंग की नई कूटनीति के रूप में जाना जा रहा है, लेकिन इसे साल 1949 में ही तैयार किया गया था. इस नारे को कभी चीन के प्रखर नेता देंग शियाओपिंग (Deng Xiaoping) ने भी दोहराया था. देंग ने कहा था – शांत रहें, चीन की स्थिति सुरक्षित करे, अमेरिका को शांति से संभालें और खुद को लो प्रोफाइल बनाए रखें. जबकि शी जिपनिंग ने कहा है- ‘सक्रिय रहें’ और ‘लड़ने की हिम्मत करें.
शी जिनपिंग ने ये नारा क्यों दोहराया ?
वास्तव में ये नारा चीन से शत्रुता रखने वालों के खिलाफ खड़े होने की शक्ति देता है. पश्चिमी देशों की चुनौतियों से लड़ने के नये संकल्प पर जोर देता है. देंग का वह फॉर्मूला 1980 के दशक में भी आया था जब चीन को विस्तारवाद की जरूरत थी. कहते हैं उसी वक्त चीन एक नई आर्थिक महाशक्ति के रूप में उभरा.
अमेरिका के खिलाफ क्या है रणनीति ?
पिछले 13 मार्च को शी जिनपिंग ने अमेरिका के खिलाफ काफी जहर उगला है. रॉयटर्स के मुताबिक चीन ने अमेरिका के साथ बढ़ते तनाव के बीच अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा प्रयासों को बढ़ाने के लिए कहा है.
शी जिनपिंग ने ये भी कहा कि अमेरिका के नेतृत्व में पश्चिमी देश चीन को दबाने के लिए चौतरफा रणनीति बना रहे हैं, जिससे निपटने की जरूरत है. ऐसे में शी जिनपिंग ने देंग के मंत्र से एक कदम आगे बढ़ते हुए खुद को लो प्रोफ़ाइल रखने के बदले ‘सक्रिय रहें’ और ‘लड़ने की हिम्मत करें का नारा दिया है.